Friday, October 23, 2009

जीवन की पहचान

जिसने है मात पिता का स्नेह पाया

उसने है सबसे अनमोल आर्शीवाद पाया

मात पिता के स्नेह आगे

हीरे पन्ने की चमक है फीकी

जिनके आगे स्वयं शीश झुकावे परमदेव

उनसे बड़कर दूजा ना कोई ओर

जिसने है इस राज को जाना

उसने है जीवन को पहचाना

No comments:

Post a Comment