Friday, October 23, 2009

समाज का सृजन

समुद्र मंथन से जैसे हलाहल निकला

आओ वैसे ही हम समाज का मंथन करे

पुरानी कुरीति बेडिया ध्वंस करे

एक नए सुंदर समाज का सृजन करे

भगवान शंकर ने भी विष पान कर

देवतों को अमृत पान प्रदान किया

आओ हम भोले नाथ की राह चले

सामाजिक कुप्रथाओ का नाश करे

आने वाली पीडी के लिए

नए सभ्य समाज का सृजन करे

No comments:

Post a Comment