Monday, December 13, 2010

बीते लहमे

जब भी मुस्कराना चाहा

जिन्दगी ने रुला दिया

जख्मों को फिर से ताजा बना दिया

सितम बीते लहमों ने ऐसा डाह दिया

आने वाला ह़र पल मनहूस बना दिया

जब भी मुस्कराना चाहा

जिन्दगी ने रुला दिया

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