Saturday, April 23, 2011

बेटिया

बेटिया तो अहसास होती है

माँ बाप के पास

कुछ पल की मेह्मा होती है

बेटिया तो बस अहसास होती है

छोटे से इस अंतराल में

रंगों से भरी खान होती है

बेटिया तो बस अहसास होती है

चहचाहट से जिसकी गूंजे आँगन

सपनों सी वो शहजादी होती है

बेटिया तो बस अहसास होती

माँ की ममता पिता की आन होती है

जिस घर जन्मे

उस घर की शान होती है

बेटिया तो बस अहसास होती है

रुला बाबुल को

एक दिन

प्रियतम की डोर थाम लेती है

बेटिया तो बस एक अहसास होती है

पर जिन्दगी में

वो सबसे खास होती है

बेटिया तो बस अहसास होती है

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