Tuesday, December 27, 2011

लाली

कोहरे की चादर में लिपटी

सुबह की लाली

मुस्का रही कलियाँ

खिल रही लाली

बरस रहा नूर

छा रही शबनम की लाली

सिमट रही जिन्दगी

देख ठिठुरन की लाली

कोहरे की चादर में

लिपट रही सुबह की लाली

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