Thursday, December 1, 2011

अकेला चाँद

लाखों तारों में चाँद अकेला

चांदनी की उसकी आगे

शर्माए तारों का मेला

जगमग करते तारों के बीच

चमके जैसे माथे की बिंदिया

बदले रूप देख तारों की बेला

नज़र ना लगे किसीकी

लगा लिया काजल का टीका

चाँद अकेला पर बात निराली

इसके आगे तारों की टोली हारी

फिर भी लाखों तारों में चाँद अकेला

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