Thursday, February 16, 2012

किश्त

जिन्दगी किश्तों में बंट गयी

हसरतें ख़्वाईसे

नगद उधार की मोहताज हो गयी

मायने जिन्दगी के बदल गए

ना दिन ना रात

ना धूप ना छावँ

किश्तें गिनते गिनते

ना जाने कब सूद के बदले

साँसे भी उधार हो गयी

ओर अब तो जिन्दगी के संग संग

साँसे भी किश्तों में बंट गयी

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