Thursday, May 17, 2012

कहानी

गुजरे कल की कहानी है

सपनो में ढली जिंदगानी है

धुन ना जाने क्या थी

मस्ती से सराबोर थी

रुकते नहीं कदम थे

मचलते रहते अरमान थे

जादू  में लिपटी

जैसे लय और  ताल थी

जीवन संगीत और गीत भरी धड़कने

रूह की जान थी

सपनो में ढली वो जिंदगानी थी




No comments:

Post a Comment