Monday, August 27, 2012

मरघट की छाया

खौफजदा है जिन्दगी

मन मस्तिष्क में बज रही

दहशत भरी ध्वनि

आतंकवाद ने पसारा ऐसा साया

उजाड़ गया सुन्दर चमन सारा

फैला  चारों ओर ऐसा सन्नाटा

दिन के उजाले में भयभीत कर दे

हलकी सी अफवाहों की काली साया

रोंगटे खड़े हो जाए

देख सुन जिस तांडव की माया

पसरा दी उसने जन्नत में भी

मरघट की छाया , मरघट की छाया 

No comments:

Post a Comment