Tuesday, November 20, 2012

हाथों की लकीर

ठन गयी एक दिन खुदा से मेरी

कहा उसने बन्दे

नहीं किस्मत की लकीर तेरे हाथों में

जज्बातों में वक़्त जाया ना करना

हुनर हो तो अपनी किस्मत लिख दिखलाना

कहा मैंने फिर खुदा से

बन्दा सच्चा हु तेरा

ये तुमको मैं दिखलादुँगा

बिन लकीर दिलों पे राज कर

हुनर अपना दिखलादुँगा

बना कटारी से हाथ पे रेखा

अपनी किस्मत खुद मैं बना लूँगा

पर मांगने तुझ से कुछ

चोखट तेरी ना आऊँगा

चोखट तेरी ना आऊँगा

हुनर तुमको मैं अपना दिखला जाऊँगा 

4 comments:

  1. sundar panktiya aur bhav ...हुनर अपना दिखलादुँगा

    बना कटारी से हाथ पे रेखा

    अपनी किस्मत खुद मैं बना लूँगा

    पर मांगने तुझ से कुछ

    चोखट तेरी ना आऊँगा

    चोखट तेरी ना आऊँगा

    हुनर तुमको मैं अपना दिखला जाऊँगा

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