Wednesday, November 28, 2012

पड़ाव

उम्र का वो पड़ाव अभी बाकी है

बचपन खिले जिसमे फिर से

रंग बिखरे बचपन के जिसमे फिर से

उम्र की दहलीज का वो मुकाम अभी बाकी है

है यह आखरी पड़ाव उम्र का

फिर भी इसमें खो जाने की बेताबी है

वो सपनों की रंगीन दुनिया

हर गुस्ताखी जिसमे माफ़ी है

उम्र का वो पड़ाव अभी बाकी है

मुक्त हो बंधन की डोर जिसमे

गूंजे मसखरी के ठहाके जिसमे

उम्र का वो पड़ाव अभी बाकी है

उम्र का वो पड़ाव अभी बाकी है




 

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