Saturday, October 8, 2016

अधूरी तस्वीर

तस्वीर मेरी अधूरी थी

रंगों की तेरी उसमें कमी थी

दर्पण भी नजरें चुरा लेता था

आज़माता खुद को

उसके सामने जब मैं 

फिर भी

ढूंढता फिरा हर उस सुहाने पल को 

कभी तो

रंग लूँ तस्वीर अपनी तेरे रंगों से मैं

खोया रह गया बस इसी धुन मैं

चुपके से चुरा कोई ओर ले गया

ढ़ाल तेरे रंगों को अपने रंग में

ढ़ाल तेरे रंगों को अपने रंग में

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